दिल्ली-हरिद्वार-ऋषिकेश के लिए रैपिड रेल का प्रस्ताव, उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने केंद्र से की मांग
उत्तराखंड के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने मंगलवार को दिल्ली में राज्य के विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें कीं। उन्होंने आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्रीनिवास कटिकिथला से मुलाकात कर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के विस्तार की मांग प्रमुखता से उठाई। उन्होंने कहा कि मेरठ से हरिद्वार और ऋषिकेश तक आरआरटीएस का विस्तार होने से राज्य के लोगों को अत्यधिक लाभ होगा।
मुख्य सचिव ने बताया कि उत्तराखंड में वाहनों का दबाव लगातार बढ़ रहा है, जिससे जाम और प्रदूषण की समस्या गहराती जा रही है। अगर दिल्ली–मेरठ आरआरटीएस को हरिद्वार और ऋषिकेश तक विस्तारित किया जाए, तो पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थलों तक पहुंचना सुगम हो जाएगा। इस पर सचिव कटिकिथला ने आश्वासन दिया कि प्रस्ताव का परीक्षण किया जाएगा और उचित कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, मुख्य सचिव ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव समीर कुमार सिन्हा, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सचिव तनमय कुमार, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय के सचिव अशोक के.के. मीणा, रक्षा मंत्रालय के सचिव राजेश कुमार, एमएसएमई मंत्रालय के सचिव सुभाष चंद्र लाल दास, ग्रामीण विकास मंत्रालय के सचिव शैलेन्द्र कुमार सिंह तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू से भी मुलाकात की। उन्होंने इन बैठकों में उत्तराखंड की विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं से संबंधित मुद्दे रखे और उनके शीघ्र समाधान के लिए अनुरोध किया।
मुख्य सचिव ने राज्य की राजधानी देहरादून में जाम की गंभीर समस्या का भी जिक्र किया और कहा कि शहरी परिवहन को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र से विशेष सहयोग की आवश्यकता है। बैठक के दौरान इलेक्ट्रिक वाहन नीति को लेकर भी गंभीर चर्चा हुई। टाटा मोटर्स, महिंद्रा, हुंडई, किया मोटर्स और जीएसडब्ल्यू जैसी प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर राज्य में ईवी सेक्टर में निवेश बढ़ाने पर जोर दिया गया। उन्होंने उत्तराखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए निवेश संभावनाओं का न्योता दिया, ताकि हरित परिवहन को बढ़ावा दिया जा सके।
इन बैठकों से उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तराखंड के विकास के कई अहम मुद्दे अब केंद्र सरकार के स्तर पर जल्द ही हल होंगे।