उत्तराखंड: कब तक इंतजार? बेरोजगार युवाओं ने मांगी इच्छा मृत्यु की अनुमति
उत्तराखंड में लंबे समय से रोजगार की बाट जोह रहे बीपीएड और एमपीएड डिग्रीधारक प्रशिक्षित युवाओं का सब्र अब जवाब दे गया। बुधवार को सैकड़ों बेरोजगार युवा जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजकर चेतावनी दी कि अगर जल्द ही उन्हें रोजगार नहीं मिला तो वे इच्छा मृत्यु की अनुमति चाहते हैं।
प्रशिक्षित बेरोजगारों ने बताया कि वे पिछले 15 सालों से रोजगार की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश चंद्र पांडे ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 में हर स्कूल में शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति अनिवार्य बताई गई है, लेकिन सरकार इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रही है।
बेरोजगार युवाओं का आरोप है कि सरकार और अधिकारी उनकी समस्याओं को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले बीपीएड डिग्रीधारकों को विशिष्ट बीटीसी के जरिये प्राथमिक स्कूलों में नियुक्ति दी जाती थी, लेकिन 2006 के बाद से यह प्रक्रिया भी बंद कर दी गई।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बेरोजगारी और सरकारी बेरुखी ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया है। कई साथी आर्थिक तंगी के चलते डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं।
प्रदर्शन में हरेंद्र खत्री, अनिल राज, सुमन सिंह नेगी, अर्जुन लिंगवाल, महेश नेगी, भुवनेश बिष्ट, पंकज वसु, रजत बसु, गोविंद सिंह, गोविंद बिजलवान, मुन्ना मेहरा, दीपक जोशी, कैलाश जोशी, आलोक शाह, गिरीश मिश्रा, धनपाल सिंह, विजेंद्र सिंह, सुरेश कुमार, आशीष कुमार और वीरेंद्र खंडूरी समेत कई लोग मौजूद रहे।